PCOD क्या है?
- PCOD - पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर का मतलब पॉलीसिस्टिक अंडाशय विकार होता है. "पॉली" का अर्थ है "अनेक". इस विकार की विशेषता अंडाशय (ओवरी) में कई सिस्ट (गाँठें) होने से होती है. यह एक ऐसा विकार है जो प्रजनन योग्य आयु वाली महिलाओं को प्रभावित करता है.
- हर महीने, महिलाओं में अंडाशय (ओवरी) एक परिपक्व अंडाणु छोड़ता है, ताकि वह निषेचित हो सके. जब यह निषेचित नहीं होता, तो यह शरीर से मासिक धर्म (पीरियड) के रूप में बाहर निकल जाता है.
- जब अंडाशय (ओवरी) निषेचन के लिए पर्याप्त हार्मोन नहीं बना पाता, तो अंडाशय में छोटी-छोटी गांठें (सिस्ट) विकसित हो जाती हैं. इस स्थिति को PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) कहा जाता है.
- इस स्थिति में, अंडाशय असामान्य मात्रा में पुरुष सेक्स हार्मोन का उत्पादन करने लगता है.
- 50% से अधिक लड़कियों और महिलाओं में PCOD का पता ही नहीं चल पाता.
PCOD से जुड़े खतरे
PCOD से जुड़े खतरे
- PCOD बांझपन (Infertility) का एक प्रमुख कारण है. यह महिलाओं के लिए गर्भधारण करना मुश्किल बना देता है.
- PCOD से ग्रस्त महिलाओं में हृदय रोग, डायबिटीज़, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ, प्रजनन सम्बन्धी विकार और गर्भाशय की परत के कैंसर होने की संभावना दोगुनी होती है.
- PCOD वाली महिलाओं में 40 वर्ष की उम्र से पहले टाइप 2 डायबिटीज़ या प्री-डायबिटीज़ होने का खतरा 50% से अधिक रहता है.
- इसके अलावा, PCOD प्रभावित महिलाओं में असन्तुलित लिपिड प्रोफाइल (अक्सर हाई ट्राइग्लिसराइड्स) और हड्डियों की घनत्व कम होने की समस्या भी हो सकती है.
PCOD के सामान्य (आम) लक्षण
PCOD के सामान्य (आम) लक्षण
- अनियमित मासिक धर्म या पीरियड्स का पूरी तरह से बंद हो जाना. जिन महिलाओं को PCOS होता है, उन्हें कई बार 2-3 महीने तक पीरियड्स नहीं आते या फिर दवाओं के बिना नहीं आते.
- कम मात्रा में मासिक धर्म: पीरियड्स नियमित या अनियमित हो सकते हैं, लेकिन रक्तस्राव बहुत कम होता है.
- अनियमित मासिक धर्म: जब मासिक धर्म शुरू होने के 2 साल बाद भी उसमें नियमितता न आए.
- वज़न बढ़ना और डाइट व एक्सरसाइज़ के बावजूद वज़न कम न होना.
- अत्यधिक बालों का बढ़ना, खासकर चेहरे, पीठ, सीने, ठोड़ी और जांघों के अंदरूनी हिस्सों पर.
- बाल झड़ना, विशेषकर पुरुषों की तरह गंजापन, स्कैल्प के बालों का झड़ना और बालों का पतला होना.
- चेहरे और पीठ पर मुंहासे, जो पुरुष हार्मोन के बढ़ने के कारण होते हैं.
- गर्भधारण में समस्या: कई महिलाओं को तभी पता चलता है कि उन्हें PCOS है जब वे प्रेग्नेंसी प्लान कर रही होती हैं लेकिन गर्भधारण नहीं कर पातीं. PCOS में ओव्यूलेशन नहीं होता या बहुत देर से होता है, जिससे प्रेग्नेंसी में दिक्कत आती है.
- मूड स्विंग्स, चिंता और डिप्रेशन.
- गर्दन के पीछे, बगल में या स्तनों के नीचे काली या मोटी त्वचा के पैच.
- आवाज़ का भारी या पुरुषों जैसा हो जाना.
- नींद में खलल और खर्राटे लेना.
- कुछ लड़कियों और महिलाओं को स्तनों से दूध जैसी सफेद तरल पदार्थ का स्राव भी होता है.
PCOD के कारण
PCOD के कारण
- आनुवांशिक कारण: अगर आपकी माँ को डायबिटीज़, प्री-डायबिटीज़ या मोटापा रहा है, तो आपको PCOD होने की संभावना अधिक होती है.
- अच्छी गुणवत्ता वाली नींद की कमी: यह PCOD के मुख्य कारणों में से एक है.
- मोटापा: विशेष रूप से पेट के आसपास वज़न का बढ़ना.
- बैठे रहने की जीवनशैली (सेडेंटरी लाइफस्टाइल): इससे वज़न बढ़ता है और वज़न घटाना मुश्किल हो जाता है.
- अस्वस्थ आहार
- खराब पोषण: ऐसा आहार जिसमें हानिकारक तत्व ज्यादा और लाभकारी पोषक तत्व कम हों, वह प्रजनन प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है.
- तनाव: इससे एड्रिनल ग्रंथियां ज़्यादा कॉर्टिसोल हार्मोन बनाती हैं.
- इंसुलिन रेजिस्टेंस: जब कोशिकाएं वसा से भर जाती हैं, तो वे रक्त से ग्लूकोज़ को अवशोषित नहीं कर पातीं. इससे पैंक्रियास अधिक मात्रा में इंसुलिन बनाता है. शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने से अंडाशय बड़ा हो जाता है और अधिक मात्रा में हार्मोन बनाता है — जिनमें ज़्यादातर पुरुष हार्मोन होते हैं.
- दैनिक जीवन में रासायनिक प्रदूषकों की उपस्थिति: जैसे प्लास्टिक और एल्युमीनियम में खाना पैक करना, रूम फ्रेशनर, फ्लोर क्लीनर, टैल्कम पाउडर, कॉस्मेटिक्स, कैमिकल युक्त बॉडी वॉश और शैम्पू आदि का उपयोग.
- शरीर में लंबे समय तक चलने वाली हल्की सूजन की स्थिति.
- हार्मोनल असंतुलन: पिट्यूटरी ग्रंथि से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन का स्राव होता है, जिससे अनियमित पीरियड्स, मुंहासे और शरीर के विभिन्न हिस्सों में बालों की अधिकता होती है.
- थायरॉयड हार्मोन की गड़बड़ी: इससे मासिक धर्म अनियमित हो सकता है.
- गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग: कुछ गर्भनिरोधक गोलियां अंडाशय की सामान्य क्रिया को बंद कर देती हैं और कई बार गोलियां बंद करने के बाद भी वह क्रिया सामान्य नहीं हो पाती.
क्या दुबली-पतली महिलाओं को भी PCOD हो सकता है ?
क्या दुबली-पतली महिलाओं को भी PCOD हो सकता है ?
हाँ, पतली महिलाएँ भी PCOD से ग्रस्त हो सकती हैं यदि:
- उनके शरीर में वसा (फैट) अधिक और मांसपेशियां (मसल्स) कम होती हैं (असामान्य मांसपेशी-वसा अनुपात).
- उनके पेट के आसपास अधिक चर्बी जमा होती है और आंतरिक (विसरल) वसा भी अधिक होती है.
- उनमें तनाव का स्तर अधिक होता है.
- उनकी भोजन संबंधी आदतें गलत होती हैं.
- उनमें विटामिन D की कमी होती है.
- उनकी आंतों में सूजन (गट इंफ्लेमेशन) होती है.
- उनकी माँ, बहन या नानी को डायबिटीज़ या हृदय रोग रहा होता है.
मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे PCOD है?
मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे PCOD है?
- अल्ट्रासाउंड - डॉक्टर आपके अंडाशय (Ovaries) के आकार को देखेंगे और जांचेंगे कि उनमें गांठें (Cysts) हैं या नहीं. साथ ही वे आपके गर्भाशय (Uterus) की परत (Lining) की मोटाई भी जांचेंगे.
- ब्लड टेस्ट:
a. शरीर में पुरुष हार्मोन के उच्च स्तर की जांच की जाएगी.
b. रक्त में ग्लूकोज़, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर की जांच की जाएगी. अगर ये तीनों स्तर ऊंचे हों, तो PCOD होने की संभावना अधिक रहती है.
- यूरिक एसिड टेस्ट - यदि यूरिक एसिड का स्तर 5.5 mg/dL से अधिक हो, तो PCOD का जोखिम बढ़ जाता है.
- भारतीय महिलाओं के लिए आदर्श कमर माप:
कमर की चौड़ाई 80 सेंटीमीटर (32 इंच) से कम होनी चाहिए.
कमर से कूल्हे का अनुपात (Waist to Hip Ratio) 0.86 से कम होना चाहिए. यानी कूल्हे की चौड़ाई लगभग 93 सेंटीमीटर (37 इंच) होनी चाहिए.
कमर से ऊंचाई का अनुपात (Waist to Height Ratio) 0.5 से कम होना चाहिए. यानी आपकी कमर आपकी ऊंचाई के आधे से कम होनी चाहिए. - हर पांच में से एक भारतीय महिला PCOD से पीड़ित है.*
पोषक तत्व जो PCOD में मदद कर सकते हैं
विटामिन B12
यह इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) को कम करने में मदद करता है, जो अक्सर PCOD से ग्रस्त महिलाओं में देखा जाता है
इनोसिटोल्स
इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार करता है; रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को नियंत्रित करता है; अंडोत्सर्जन (Ovulation) में सुधार करता है और प्रजनन क्षमता (Fertility) को बढ़ाता है; टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करता है; तथा हिर्सूटिज़्म (अत्यधिक बाल वृद्धि) में मदद करता है.
आयरन
एनीमिया (खून की कमी) को दूर रखने में मदद करता है.
ज़िंक
प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) और प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) में सुधार करता है; कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाता है; अत्यधिक बाल वृद्धि (हिर्सूटिज़्म) में सुधार करता है; इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार करता है और वजन कम करने में मदद करता है.
क्रोमियम
बीएमआई (BMI) को घटाता है; फ्री एंड्रोजन स्तर को कम करता है; इंसुलिन स्तर को घटाता है.
विटामिन डी
85% PCOD रोगियों में विटामिन D की कमी पाई जाती है. यह भोजन में मौज़ूद नहीं होता, इसलिए हमें बाहरी सप्लीमेंट्स पर निर्भर रहना पड़ता है
विटामिन B, जिसमें विटामिन B6, B12 और फोलेट शामिल हैं
ज्यादातर PCOD की दवाइयाँ विटामिन B12 की कमी का कारण बनती हैं. विटामिन B12 का सप्लीमेंट लेने से होमोसिस्टीन का स्तर कम होता है, जिससे प्रजनन क्षमता (Reproductive Function) में सुधार होता है.
प्रोबायोटिक्स
यह आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करता है.
ओमेगा-3
ये सूजनरोधी (एंटी-इन्फ्लेमेटरी) होते हैं और इंसुलिन स्तर को घटाने के लिए जाने जाते हैं. ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करते हैं. साथ ही, ये लेप्टिन स्तर को भी घटाते हैं.
ईवनिंग प्रिमरोज़ ऑयल
पीरियड्स के दर्द को कम करता है और अंडोत्सर्जन (ओव्यूलेशन) से जुड़ी समस्याओं में मदद करता है.
पौधों से प्राप्त सोया
सोया प्रोटीन में मौजूद आइसोफ्लावोन्स गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकते हैं.*