गर्भावस्था से जुड़े कुछ तथ्य

भारत में हर मिनट 50 बच्चे
पैदा होते हैं

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार,

भारत में 52.2% गर्भवती महिलाएं (15-49 वर्ष की आयु) एनीमिया से पीड़ित हैं*

According to NIH**, a hemoglobin level below 6.5 g/dl is life threatening

  • गर्भावस्था के दौरान बच्चे को बढ़ने में मदद करने के लिए गर्भवती महिला के रक्त की मात्रा 40-50% तक बढ़ जाती है
  • गर्भावस्था के दौरान बढ़ी हुई ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, ह्रदय का आकार भी बढ़ता है
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक पसीना आता है
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में सूँघने की क्षमता बढ़ जाती है
  • गर्भावस्था के दौरान ज़्यादातर महिलाओं के चेहरे पर निखार आ जाता है जिसे "प्रेग्नेंसी ग्लो" कहा जाता है
  • एक महिला की 30-40 वर्ष की उम्र की तुलना में 20-30 वर्ष की उम्र में गर्भधारण करने की सम्भावना अधिक होती है

पोषक तत्व जो गर्भावस्था के दौरान
मदद कर सकते हैं

आयरन

बच्चे को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए रक्त बनाने में मदद करता है

शिशु के लिए आवश्यक नई लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है

पोषक तत्वों के अवशोषण, आंत की माइक्रोबायोटा को स्वस्थ बनाए रखने और लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) के निर्माण में मदद करता है

शिशु की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है

भ्रूण की वृद्धि के लिए सकारात्मक नाइट्रोजन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) को रोकने में भी सहायक होता है

आयरन, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में मदद करता है

बच्चे के मस्तिष्क और रेटिना के विकास में मदद करता है. बच्चे के मस्तिष्क का 70% विकास गर्भ में ही होता है

प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स

ये गर्भावस्था के दौरान आपके गट को हॉर्मोनल परिवर्तन, तनाव और अवांछित वज़न बढ़ने से बचाने में मदद करते हैं

बच्चे के दृष्टि और तंत्रिका विकास को बढ़ावा देता है

प्री-टर्म डिलीवरी और कम जन्म वजन के जोखिम को कम करता है. आंत से कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देता है

विटामिन D के अवशोषण में मदद करता है. नींद, मांसपेशियों में ऐंठन में राहत देता है और मूड को बेहतर बनाता है

शरीर को प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स को अवशोषित करने और नए RBCs (लाल रक्त कोशिकाएँ) तथा एंटीबॉडीज़ बनाने में मदद करता है

प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है और भोजन तथा सप्लीमेंट्स से आयरन के बेहतर अवशोषण में मदद करता है

इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं और यह मस्तिष्क और मांसपेशियों के क्षय को रोकता है

न्यूट्रीचार्ज वुमन के सम्भावित लाभ

गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने
वाली माताओं के लिए

आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया को रोकने में मदद करती है

बच्चे के सर्वोत्तम विकास और वृद्धि के लिए आयरन, फोलेट और विटामिन B12 की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने में मदद करती है

यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता जीवन भर अच्छी बनी रहे

बच्चे के समुचित विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 की बढ़ी हुई आवश्यकता को पूरा करने में मदद करता है

शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के अपूर्ण विकास (न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट) के जोखिम को कम करने में मदद करता है

यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि बच्चे की पूरी ज़िंदगी में उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहे

यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि बच्चे का जन्म सही वजन के साथ हो

गर्भावस्था के दौरान
विकास के चरण

सप्ताह 1 से सप्ताह 9

  • शिशु का ब्रेन और रीढ़ की हड्डी बनना शुरू हो जाते हैं.
  • रक्त परिसंचरण प्रणाली बनना शुरू हो जाती है.
  • उसका ह्रदय धड़कने लगता है.
  • हाथ, उंगलियां, आंखें, नाक, मुंह और कान बनना लगते हैं.
  • सेक्सुअल अंग बनने शुरू हो जाते हैं.

सप्ताह 10 से सप्ताह 14

  • नैन-नक्श अच्छी तरह से उभरते हैं.
  • दांत, नाखून और उँगलियों के निशान बनने लगते हैं.
  • शिशु अपनी मुट्ठी खोल और बंद कर सकता है.
  • वह अपने पंजों को मोड़ सकता है.
  • मसल्स और प्रतिक्रियाएं विकसित होने लगती हैं.
  • ब्रेन, तंत्रिका सिस्टम, आंतें और लिवर काम करने लगते हैं.
  • लाल रक्त कोशिकाएं बनने लगती हैं.

सप्ताह 15 से सप्ताह 20

  • शिशु का आकार दोगुना हो जाता है.
  • तंत्रिका तंत्र तेज़ी से विकसित होता है.
  • कोमल कार्टिलेज हड्डियों में परिवर्तित होने लगती हैं.
  • शिशु के सूंघने, चखने, सुनने, देखने और छूने की ताकत विकसित होती है.
  • शिशु आपकी आवाज़ सुन सकता है.
  • आप अपने शिशु की हलचल को महसूस कर सकती हैं.
  • शिशु के लिंग को अल्ट्रासाउंड में देखा जा सकता है.

सप्ताह 21 से सप्ताह 27

  • शिशु की उँगलियों के प्रिंट (फिंगर प्रिंट) विकसित होते हैं.
  • शिशु निगलना सीखता है और उसे हिचकी आना शुरू होती है.
  • फेफड़ों का विकास बढ़ता है और शिशु सांस लेने का अभ्यास करने लगता है.
  • उसके होंठ और टेस्ट बड्स बनते हैं.
  • शिशु अपनी पलकें खोल सकता है लेकिन अभी देख नहीं पाता है.

सप्ताह 28 से सप्ताह 37

  • इस अवधि के शुरू में शिशु का वज़न करीब 1 किलो होता है.
  • इस अवधि में उसका वज़न तिगुना हो जाता है.
  • फैट की परत बनने लगती है.
  • इस अवधि के अंत तक शिशु के ब्रेन का 70% विकास हो जाता है.
  • बालिका शिशुओं में ओवरी (अंडाशय) का आगे विकास होता है और उनमें ज़िन्दगी भर के लिए 60 लाख अंडे अभी से मौजूद होते हैं.
  • बालक शिशुओं में टेस्टिस बनते हैं और इनमें अपरिपक्व शुक्राणु अभी से मौजूद होते हैं.
  • शिशु अब देख सकता है.
  • उसकी त्वचा गुलाबी और कोमल बनती है.
  • इस अवधि के अंत में ज़्यादातर महिलाओं में, जन्म की तैयारी हेतु शिशु का सिर नीचे की तरफ आता है.

गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए
महत्त्वपूर्ण पोषक तत्वों का ICMR RDA

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गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं को उनके
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गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन कम होने के कारण

गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन कम होने के कारण

  • गर्भावस्था के दौरान रक्त की मात्रा में वृद्धि
  • आहार में आयरन, विटामिन B12 और फोलेट की कमी
  • मॉर्निंग सिकनेस के कारण बार-बार उल्टी होना
  • दो गर्भधारण के बीच कम समय का अंतर
  • मेनार्चे (पहले पीरियड) से लेकर गर्भावस्था तक हीमोग्लोबिन का कम स्तर
  • महिलाओं में स्वाभाविक रूप से आयरन की कम मात्रा का संग्रह होना
  • मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का इतिहास
  • एक से अधिक शिशुओं की गर्भावस्था
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गर्भावस्था के दौरान कम हीमोग्लोबिन के कारण सम्भावित जटिलताएँ

गर्भावस्था के दौरान कम हीमोग्लोबिन के कारण सम्भावित जटिलताएँ

  • शिशु का विकास धीमा होना
  • समय से पहले प्रसव
  • कम वज़न के साथ जन्म
  • प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव
  • उच्च रक्तचाप के कारण जटिलताएं
  • भ्रूण को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी
  • माँ में थकान और कमजोरी
  • संक्रमण का बढ़ा हुआ खतरा
  • बच्चे में जन्म के बाद एनीमिया हो सकता है
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ध्यान में रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

ध्यान में रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • गर्भावस्था की पूरी अवधि के दौरान आपका कुल वज़न बढ़ना 9 से 15 किलो के बीच होना चाहिए.
  • वज़न बढ़ना केवल चौथे या पाँचवें महीने के बाद ही शुरू होना चाहिए, उससे पहले नहीं.
  • कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें.
  • इंटरनेट पर फालतू ब्राउज़िंग और व्हाट्सएप पर बेकार के मैसेज और वीडियो से दूरी बनाए रखें.
  • कुर्सी पर बैठते समय अपने घुटनों को क्रॉस न करें.
  • बिस्तर में करवट लेते समय या कार में बैठते समय अपने घुटनों को साथ रखें.
  • सीढ़ियाँ चढ़ते समय दीवार के पास और साइड की तरफ से चढ़ें — इससे पेल्विक एरिया में दर्द से बचाव होगा.
  • नहाते समय योनि को इंटिमेट वॉश से साफ करें.
  • नहाने के बाद अपनी त्वचा पर रोज़ाना नारियल तेल या अच्छे मॉइश्चराइज़र से मालिश करें.
  • नहाने के बाद रोज़ाना अपने निपल्स पर घी या नारियल का तेल लगाएं.

मददगार जीवनशैली के बदलाव

  • गर्भधारण की योजना बनाने से कम से कम एक वर्ष पहले पति और पत्नी दोनों को स्वस्थ गर्भावस्था हेतु शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होने के लिए अपनी जीवनशैली पर ध्यान रखना शुरू कर देना चाहिए. पति को न्यूट्रीचार्ज मैन और पत्नी को न्यूट्रीचार्ज वुमन, न्यूट्रीचार्ज DHA 200 और न्यूट्रीचार्ज स्ट्रॉबेरी प्रोडाइट लेना चाहिए
  • हर दिन एक कटोरी दही खाएं.
  • नींबू का सेवन बढ़ाएं. अपनी दाल, सूप, सलाद और वेजिटेबल जूस में नींबू निचोड़ें.
  • अपने आहार में शामिल करें: फल और सब्जियाँ, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, सूखे मेवे, नट्स और बीज, बाजरा, ज्वार, रागी, राजगिरा, बीन्स, काले चने, दालें, स्टील कट ओट्स, दूध, नारियल पानी, नारियल दूध, नींबू, कोकम.
  • बचें: पैक किए हुए या अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और जूस, तला हुआ और मसालेदार भोजन, पास्ता, पिज़्ज़ा, फास्ट फूड, पपीता (कच्चा और पका हुआ), अनानास, तरबूज, बैंगन, ब्रेड, मांस, मछली.
  • हर भोजन के बाद एक छोटा टुकड़ा गुड़ खाएं.
  • सुबह की मतली के दौरान अदरक की चाय मदद कर सकती है. पानी में अदरक उबालें, उसमें शहद मिलाएं और धीरे-धीरे पिएं.
  • अपने तरल पदार्थ के सेवन पर नज़र रखें. बहुत कम पानी पीने से प्लेसेंटा और एम्नियोटिक फ्लूइड से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.
  • भोजन के साथ या तुरंत बाद चाय या कॉफी पीने से बचें.
  • अपने शुगर का सेवन दिन में 5 चम्मच तक सीमित रखें. WHO दिन में 5-10 चम्मच चीनी की सलाह देता है.
  • भरा हुआ पेट लेकर न सोएं. सोने से कम से कम 2.5 से 3 घंटे पहले भोजन कर लें.
  • बाईं करवट सोएं और पैरों के बीच तकिया दबाकर रखें.
  • हर दिन 30 मिनट टहलें.
  • वज़न घटाने की बजाय मांसपेशियों को मज़बूत और संतुलित बनाए रखने पर ध्यान दें.
  • हर दिन 10 मिनट धूप में बैठें. सूर्योदय के बाद 1.5 घंटे तक या सूर्यास्त से 1 घंटे पहले यह किया जा सकता है.
  • अपने बच्चे से बात करें. यह उसके साथ गहरा संबंध बनाने का सबसे अच्छा समय है.
  • अखबार पढ़ें, प्रेरणादायक किताबें पढ़ें और अच्छा संगीत सुनें. दिमाग को सक्रिय रखने के लिए पज़ल्स हल करें.
  • अपने शौक पूरे करके तनाव को नियंत्रित रखें.
  • खाना पकाने या गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग न करें.
  • सुनिश्चित करें कि आप सीमित मात्रा में खाएं, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, सही तरीके से सांस लें और अच्छी नींद लें. इससे आप गर्भकालीन डायबिटीज, अधिक वजन बढ़ने, थायरॉयड की समस्याओं और ब्लड प्रेशर असंतुलन से बची रहेंगी.

सप्लीमेंट्स जो गर्भावस्था
के दौरान मदद कर सकते हैं

प्रोबायोटिक्स, सी बकथॉर्न

  • सभी गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं रोज़ाना सोने से आधा घंटा पहले एक कैप्सूल ले सकती हैं.

लूटीन और ज़ीएक्सैंथिन शाकाहारी सॉफ्ट कैप्सूल्स

इलेक्ट्रोलाइट्स

  • सभी गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं रोज़ाना सोने से आधा घंटा पहले एक कैप्सूल ले सकती हैं.

लिनम यूसिटैटिसिमम शाकाहारी सॉफ्ट कैप्सूल्स

वेज ओमेगा

  • सभी गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं रोज़ाना नाश्ते के बाद एक कैप्सूल ले सकती हैं.

केसर पिस्ता प्रोडाइट

  • गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं इसे हर दिन गर्म दूध के साथ सोने से पहले लें. जिन गर्भवती महिलाओं को यूरिक एसिड ज़्यादा है, हाइपरथायरॉइड है या किडनी की समस्या है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए.